ज़रा सी रोशनी भी...


ज़रा सी रोशनी भी 
मिटाने को अंधकार काफी है
बुझे जो चिराग आँधियो में कोई 
जलाने को मशाल काफी है!

हो अंधेरा कितना भी घेरे 
चमक जुगनू की काफी है
आकाश में हो बादल घनेरे
गड़गड़ाती बिजली की धार काफी है

अंतर्मन अस्पष्ट - धुंधला 
एक जलती लौ ज्ञान की काफी है
समेटने को हर टूटा - बिखरा 
उम्मीद की ज़रा सी रोशनी भी काफी है!

_ Nisha Gola



Comments

Popular posts from this blog

इंसान नहीं भगवान् हैं ये ...