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Showing posts from May, 2019

कुछ तो कर्ज अदा करो....

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                      कुछ तो कर्ज अदा करो दिया जो माँ-बाप ने इतना उसका कुछ तो कर्ज अदा करो। नहीं चाहिये उनको दौलत बस खुद से न उन्हें कभी जुदा करो।। हाथ पकड़कर चलाया जिन्होंने क्यों उनका साथ छोड़ जाते हो? फ़र्ज निभाने के बजाये अपना हर चीज़ पर उनकी फिर क्यों अधिकार जमाते हो ? दिये हमेशा संस्कार जिन्होंने अब उनको तमीज़ सिखाते हो क्यों दो रोटी के लिए माँ - बाप के बँटवारे कर जाते हो ? हो जाये जरा भी दर्द बच्चे के डॉक्टर की लाइन लगा दी जाती है टूट जाए यदि पिता का चश्मा तो खर्चों की लिस्ट गिना दी जाती है । सौ गलतियाँ माँफ की बच्चों की हँसकर टाली हर बात क्यों माँ -बाप की छोटी- सी गलती बच्चों से नहीं बर्दाश्त ? घर बनाया जोड़-जोड़ कर अब उनका ही अधिकार नहीं। हाथ पकड़कर कर देते हैं बाहर, कहते हैं - "आपके लिए अब जगह नहीं" सेवा करो या करो न उनकी इसका कोई मलाल नहीं। बस प्यार जता दो थोड़ा-सा फिर बच्चों से कोई सवाल नहीं।। सोच रहे हो तुम शायद कि जग में तुम्हारा जवाब नहीं। याद रखो इस बात को भी, चुक्तू होगा हर हिसाब सिर्फ यहीं... सिर्फ यहीं!                      ....निशा गोला...

इंसान नहीं भगवान् हैं ये ...

जोड़कर अपनी पाई - पाई मकान को घर बनाते हैं ... उँगली थाम के बच्चों की सही राह पर चलना सिखाते हैं ! रहकर खुद हमेशा भूखा पहले बच्चों को खिलाते हैं ... रात-रात को जागकर वो हर फ़र्ज निभाते हैं ! ताकत नहीं हो चाहे शरीर में फिर भी मेहनत करते जाते हैं .. अपने बच्चों के भविष्य की खातिर हर दर्द अपना झेल जाते हैं!! उम्मीद नहीं रखते बच्चों से , निःस्वार्थ प्यार जताते हैं .. मिले खुशी या न बदले में ,बस अपना कर्म करते जाते हैं !! हर ख्वाब पूरा करने की क्षमता हमेशा हमें दिखाते हैं ... "बस एक बार कहो मिल जाएगा ", ये वादा करते जाते हैं ! न जाने वे कैसे हमें इतना प्यार कर पाते हैं ... बेशक इंसान नहीं भगवान् हैं ये जो माँ-बाप के रूप में जाने जाते हैं !!!👼👼                  ... निशा गोला...

मैं हूँ एक मासूम कली...

                            मैं हूँ एक मासूम कली मैं हूँ एक मासूम कली मेरा क्या है दोष ? क्यों करते हो मेरे जन्म पर तुम इतना अफ़सोस ?? जिस आँगन में मैं पली-बड़ी वो आँगन है अनमोल ... जिस घर में मैंने जन्म लिया क्यों उस घर का नहीं कोई मोल ? बेटों को कह दिया है भाग्य लेकिन मैं एक सौभाग्य हूँ ... दो कुलों का करती हूँ कल्याण, मैं ईश्वर का दिव्य प्रसाद हूँ !! भटक -भटक कर मंदिरों में देवी की पूजा करतें हैं... घर में पत्नी , माँ-बहन को पैरों की धूल समझते हैं !! मैं लक्ष्मी हूँ , मैं गौरा हूँ , मैं दुर्गा का एक रूप हूँ ... मुझपर करते हो अत्याचार क्यों इतना , मैं एक देवी का स्वरुप हूँ !! जिस हाल में रखो मुझे उस हाल में रह जाऊँगी ... बस प्रेम जता दो थोडा-सा हर मुश्किल हँसकर पार लगाऊंगी! देकर जन्म बेटी को मत समझो उसे कोई बोझ ... बोझ उठा लेगी वो तेरा है उसमें इतना जोश !! बेटी हैं मासूम कली ,है इनका नहीं कोई दोष ... मत करना बेटी के जन्म पर कभी कोई अफ़सोस !!!                       .....निशा गोला .....