मैं हूँ एक मासूम कली...
मैं हूँ एक मासूम कली
मैं हूँ एक मासूम कली मेरा क्या है दोष ?
क्यों करते हो मेरे जन्म पर तुम इतना अफ़सोस ??
जिस आँगन में मैं पली-बड़ी वो आँगन है अनमोल ...
जिस घर में मैंने जन्म लिया क्यों उस घर का नहीं कोई मोल ?
बेटों को कह दिया है भाग्य लेकिन मैं एक सौभाग्य हूँ ...
दो कुलों का करती हूँ कल्याण, मैं ईश्वर का दिव्य प्रसाद हूँ !!
भटक -भटक कर मंदिरों में देवी की पूजा करतें हैं...
घर में पत्नी , माँ-बहन को पैरों की धूल समझते हैं !!
मैं लक्ष्मी हूँ , मैं गौरा हूँ , मैं दुर्गा का एक रूप हूँ ...
मुझपर करते हो अत्याचार क्यों इतना , मैं एक देवी का स्वरुप हूँ !!
जिस हाल में रखो मुझे उस हाल में रह जाऊँगी ...
बस प्रेम जता दो थोडा-सा हर मुश्किल हँसकर पार लगाऊंगी!
देकर जन्म बेटी को मत समझो उसे कोई बोझ ...
बोझ उठा लेगी वो तेरा है उसमें इतना जोश !!
बेटी हैं मासूम कली ,है इनका नहीं कोई दोष ...
मत करना बेटी के जन्म पर कभी कोई अफ़सोस !!!
.....निशा गोला .....
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